जौनपुर के अगलाड़ नदी में धूमधाम से मनाया मौण मेला  – Dhanaulti Express

0
WhatsApp-Image-2025-06-29-at-5.08.11-PM.jpeg

जौनपुर के अगलाड़ नदी में धूमधाम से मनाया मौण मेला 

नैनबाग (शिवांश कुंवर)- जौनपुर की लोक संस्कृति पर आधारित पौराणिक और राजशाही मौण मेले  की परंपरा आज भी अगलाड़ नदी में हर्षोल्लास के साथ मौण मेला मनाया गया।

शनिवार को अगलाड़ नदी में विभिन्न क्षेत्र से 10 बजे लोग एकत्रित होने का सिलसिला शुरू हुआ। नदी में मौण (डिमरू पाउडर) डालने से पहले जौनपुरी मौण गीत और रासो गीत के साथ शुरू हुआ।  दोपहर बाद समय 1.15 मिनट पर पांतिदार 16 गांव के ग्रामीणों द्वारा मौण का तिलक लगा कर नदी में ढोल नागडे व रंगसिंगा की धुन पर मौण (टिमरू पाउडर) नदी में डाला गया। नदी में मौण पड़ने की प्रतिक्षा कर रहे हजारों की संख्या में कर रहे लोग मच्छी पकड़ने के लिए  लगभग 4 किमी  लोग खड़े थे। इस बार मौण लाने की पांतिदार (बारी) ग्राम बग्लो की कांण्डी, सैजी,भटोली,काण्डी खाल,चम्या,बनोगी,गांवखेत,भेडियाना,घंडियाला, सरतली,कसोन आदि द्वारा नदी प्राकृतिक औषोघि टिमरु का पाऊण्डर मौण को नदी में उड़ेला।

टिमरू का पाउडर नदी में डालने  पर मछलियां कुछ देर के लिए बेहोश होने पर आसानी से लोग पकड लेते है। स्वयं के संसाधनों से बनाये गए उपकरणों कुंडियाला, जाल, फटियाडा आदि में मुख्य तौर पर मच्छी पकड़ में आ जाती है। मौण मेले परंपरा 18 वीं सदी मे टिहरी रियासत के राजा नरेन्द्र शाह ने शुरू कर आज तक त्यौहार के रूप में मनाते हैं।

इस मेले में पट्टी सिलवाड़ ,पट्टी लालूर,पट्टी दशज्यूला , पट्टी अठाजूला पट्टी, इडवालस्यूं  सहित जौनसार व गोडर आदि के 110 गांव के लोग प्रतिभा कर इस मौण मेला का लुप्त उठाने के साथ रात्री को जमकर जश्न मनाते है।

मौण मेला समिति के अध्यक्ष महिपाल सिंह सजवाण ने बताया कि यह मौण मेला टिहरी के राजशाही नरेंद्र शाह के समय से चली मेला जो कि जौनपुर की लोक संस्कृति के संगम व आपसी भाईचारे का प्रतीक है। जिस पर सरकार से पर्यटन मेला घोषित करने की मांग की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed