जानकी चट्टी पार्किंग के पास से शुभम होटल तक अवैध छोटी दुकानों पर चली जेसीबी, छोटे व्यापारी सरकार और प्रशासन से दिखे नाराज

जानकी चट्टी पार्किंग के पास से शुभम होटल तक अवैध छोटी दुकानों पर चली जेसीबी, छोटे व्यापारी सरकार और प्रशासन से दिखे नाराज
उत्तरकाशी (वीरेंद्र नेगी)–पिछले कुछ दिन पहले यमनोत्री धाम में एक फ्लड आया. जिसमे यमनोत्री धाम का मुख्य मंदिर सुरक्षित रहा. बाकि उस फ्लड के सामने जो आया उसे नुकसान हुआ. जिसमे यमुनोत्री धाम के रास्ते, दीवाल व् पार्किंग स्थल हो काफी नुकसान पहुंचा। अब इस फ्लड से हुए नुकसान का दोहरा नुकसान छोटे व्यापारियों को झेलना पड़ रहा हैं.
प्रशासन द्वारा फ्लड के रास्ते में जो अवैध दुकाने यमनोत्री मार्ग पर खुले हैं.जो अभी तक फ्लड से सुरक्षित हैं उनमे से कुछ दुकानों को प्रशासन द्वारा जेसीबी के माध्यम से हटाया गया.जिससे छोटे व्यापारियों को नुकसान हुआ। लोकल व्यापारी व् बाहरी जिले से आये व्यापारियों का बनाये गए दुकानों को प्रशासन द्वारा नष्ट कर दिया गया।
वहीं इस पर व्यापारियों का कहना हैं. यमुनोत्री धाम की यात्रा नारायणपुर जानकी जट्टी से शुरू होती है। यहां एक तरफ जनता दैविक आपदा से परेशान है.वहीं दूसरी तरफ शासन प्रशासन के द्वारा लोगों को बेवजह यहां परेशान किया जा रहा है. दैविक आपदा से जहां लोगों आशियाने यहां बच गए थे, लेकिन शासन प्रशासन के द्वारा अब उन्हें उजाड़ने का कार्य किया जा रहा है. छोटे व्यवसायिक करने वालों से लेकर स्थानीय लोगों की कई वर्षों पुरानी दुकानों पर अब शासन प्रशासन के द्वारा जेसीबी मशीन लगा कर उन्हें हटाने का कार्य किया गया।
आम नागरिक के हित के लिए ना कोई नीति पारदर्शिता के साथ तैयार की गई और ना ही उनकी कोई सुनवाई और ना ही उनके हित के लिए कोई न्याय सिर्फ उन पर अत्याचार किया जा रहा है.वहीं लोगो का कहना हैं ये अवैध था तो प्रशासन पहले निंद्रा अवस्था में था क्या. दुकानों पर बिजली व् पानी कि सुविधा प्रशासन द्वारा दी गई थी. उस समय इन दुकानों को किस नियम के लिहाज से दिया गया. जिसे अब प्रशासन द्वारा अवैध बताया जा रहा है।
सरकार में बैठे उच्च पदों पर बैठे अधिकारी आखिर इस तरह तानाशाही चलाकर क्या साबित करना चाहते है। दैवीय आपदा दोष में लाखों करोड़ों रुपए का बजट होते हुए भी आम नागरिक के हित के लिए कुछ भी नहीं दिया जा रहा है तो क्या ये बजट राजनेता अधिकारी और ठेकेदारों के लिए ही है. स्थानीय लोगों से लेकर व्यापारी तक इसके लिए क्या कोई नीति तैयार किया गया है.सरकार को राज नेताओं और अधिकारीयों के बीच बंदरबाट तक ही सीमित रहेगा।